DAILY G.A UPDATE : 16-12-2016
अमेरिका में पहली बार भारतीय मूल की एक अमेरिकी महिला सविता वैद्यनाथन को कैलिफोर्निया के क्यूपर्टीनो शहर की नयी मेयर निर्वाचित किया गया है। क्यूपर्टीनो शहर एप्पल के मुख्यालय की वजह से जाना जाता है।
सविता वैद्यनाथन ने एमबीए किया है और वह एक हाई स्कूल में गणित की शिक्षक तथा एक वाणिज्यिक बैंक में एक अधिकारी के रूप में काम कर चुकी हैं। उन्होंने गैर-लाभ प्रबंधन के क्षेत्र में भी काम किया है।
उन्होंने पिछले सप्ताह एक समारोह में शपथ ली। समारोह में उनकी मां भी मौजूद थीं जो भारत से आई हुई थीं।
क्यूपर्टीनो की मेयर के रूप में निर्वाचित होने वाली सविता भारतीय मूल की पहली अमेरिकी महिला हैं।
फोब्र्स के अनुसार क्यूपर्टीनो अमेरिका के उन छोटे शहरों में से एक हैं जहां शिक्षा की दर उंची है।
उनके प्रचार अभियान की वेबसाइट के अनुसार, सविता 19 वर्ष से अधिक समय से क्यूपर्टीनो में रह रही हैं और वह शहर में कई सामुदायिक गतिविधियों में पूरी तरह से शामिल रही हैं।
व्हाइट हाउस ने कहा कि भारत दुनिया की सबसे तेज बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं में शामिल है। साथ ही उसने देश के सार्वजनिक क्षेत्र में अक्षमता को भी उजागर किया जहां गरीब आबादी के पास अब भी स्वास्थ्य सुविधाओं की कमी है और उनकी वित्तीय सेवाओं तक पहुंच नहीं है।
राष्ट्रपति की इकोनॉमिक रिपोर्ट 2017 में कहा गया है, ‘‘भारत दुनिया के सर्वाधिक तेजी से बढ़ते देशों में शामिल है जहां वास्तविक जीडीपी 2016 की चारों तिमाही में 7 . 3 फीसदी की दर से बढ़ी।’’ इस रिपोर्ट को कांग्रेस के पास भेजा गया है।
यह रिपोर्ट 600 पन्ने की है जिसमें बताया गया है कि भारत में 2016 में चारों तिमाही के दौरान आर्थिक वृद्धि 7 . 4 फीसदी की ठोस दर से बढ़ी है।
अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने इस्राइल-फलस्तीन के बीच विशेष संबंध बनाए रखने के मकसद से डेविड फ्राइडमैन को इस्राइल के लिए अपना राजदूत नामित किया है। फ्राइडमैन दोनों देशों के बीच ‘‘दो राष्ट्र समाधान’’ के जबरदस्त विरोधी रहे हैं।
फ्राइडमैन दुनिया के कुछ शीर्ष कारोबारियों एवं कंपनियों में बतौर वकील रहे हैं और वह ट्रम्प के प्रचार अभियान के दौरान अमेरिका-इस्राइल संबंध पर नवनिर्वाचित राष्ट्रपति के प्रधान सलाहकार में से एक थे।
फ्राइडमैन ने कहा कि वह यरूशलम को इस्राइल की राजधानी के तौर पर मान्यता दिलाने और वहां अमेरिका के दूतावास को स्थानांतरित करने के ट्रम्प के संकल्प को पूरा करने की दिशा में आशान्वित हैं। यह कदम बेहद विवादास्पद, प्रतीकात्मक और पश्चिम एशिया में स्पष्ट तौर पर विस्फोटक प्रवृत्ति का होगा क्योंकि लंबे समय से ठप्प इस्राइल-फलस्तीन वार्ताओं में यरूशलम का दर्जा भी एक मुद्दा रहा है।
हाल में हुए एक अध्ययन में बनाई गई अंतरराष्ट्रीय प्रवासियों के मूल देशों की सूची में भारत को शीर्ष स्थान पर रखा गया है। 1.56 करोड़ भारतीय विदेशों में रह रहे हैं। अध्ययन करने वाले प्यू रिसर्च ने कहा है कि वैश्विक जनसंख्या में 3.3 प्रतिशत लोग अंतरराष्ट्रीय प्रवासी हैं।
अंतरराष्ट्रीय प्रवासी दिवस से पहले प्यू रिसर्च ने कहा कि वर्ष 2015 तक के आंकड़ों के अनुसार, लगभग 35 लाख भारतीय संयुक्त अरब अमीरात में रहते थे। यह विश्व का दूसरा सबसे बड़ा आव्रजन गलियारा है।
प्यू ने कहा कि मेक्सिको-अमेरिका गलियारे से इतर संयुक्त अरब अमीरात और पारस की खाड़ी के अन्य देशों में रहने वाले भारतीयों की संख्या पिछले दशक में पर्याप्त रूप से बढ़ी है। यह संख्या वर्ष 1990 में 20 लाख थी और वर्ष 2015 में बढ़कर 80 लाख से अधिक है।
प्यू ने कहा, ‘‘अधिकतर लोग तेल के धनी इन देशों में आर्थिक अवसरों के लिए गए हैं।’’ फिलिप कोनोर द्वारा लिखी गई इस रिपोर्ट में कहा गया कि यदि दुनिया के सभी अंतरराष्ट्रीय प्रवासी एक ही देश में रहते तो वह विश्व का पांचवा सबसे बड़ा देश होता और उसमें लगभग 24.4 करोड़ लोग होते।
रिपोर्ट में कहा गया, ‘‘आज अंतरराष्ट्रीय प्रवासियों की संख्या विश्व की कुल जनसंख्या का 3.3 प्रतिशत है।’’ रिपोर्ट के अनुसार, इन प्रवासियों के मूल देशों की सूची में भारत :1.56 करोड़: शीर्ष पर है। दूसरे स्थान पर मेक्सिको :1.23 करोड़:, रूस :1.06 करोड़:, चीन :95 लाख: और बांग्लादेश :72 लाख: हैं। अमेरिका में सबसे ज्यादा अंतरराष्ट्रीय प्रवासी हैं।
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